Sunday, August 21, 2011

यूनिसेफ, इग्नू का संयुक्त टीकाकरण अभियान

भोपाल। टीकाकरण के जरिए बच्चों को बीमारी से बचाकर स्वस्थ भारत का निर्माण सम्भव है, मगर तमाम कोशिशों के बाद भी टीकाकरण कार्यक्रम अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका है। टीकाकरण को जनांदोलन का रूप देने के लिए बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनिसेफ व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने संयुक्त मुहिम शुरू की है।  यूनिसेफ व इग्नू ने दिल्ली सहित मध्य प्रदेश के क्षेत्रीय केंद्रों भोपाल व जबलपुर को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जोड़कर नियमित टीकाकरण एवं समावेशी विकास पर राष्ट्रीय मीडिया परिचर्चा का आयेाजन किया है। इस दो दिवसीय परिचर्चा की शुरुआत सोमवार को हुई। तीनों स्थानो पर मौजूद दोनों ओयाजक संगठनों के अलावा मीडिया जगत से जुड़े लोगों ने माना कि नियमित टीकाकरण के प्रति जनजागृति आवश्यक है और यह तभी सम्भव है, जब क्षेत्रीय मडिया का साथ हो।
 
भोपाल में यूनिसेफ की प्रदेश इकाई प्रमुख तान्या गोल्डनार ने कहा है कि भारत में प्रतिदिन पांच हजार बच्चों की मौत होती है। वहीं प्रदेश में हर साल खसरे से 12 हजार बच्चों की मौत होती है। इन मौतों को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसके लिए बच्चों के अभिभावकों मे जागरूकता आवश्यक है। जनजागृति लाने में मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है।  इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. के.एस. तिवारी ने माना कि नियमित टीकाकरण के जरिए बचपन को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि टीकाकरण को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को खत्म कर जागृति लाई जाए। इसके लिए इग्नू व यूनिसेफ मिलकर बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकते हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के निदेशक डॉ. मनोहर अगनानी ने बताया कि मध्य प्रदेश में टीकाकरण की स्थिति में और सुधार लाने की जरुरत है, क्योंकि देश में टीकाकरण 61 प्रतिशत है वहीं यहां सिर्फ 42 फीसदी बच्चों का ही नियमित टीकाकरण हो पाता है। इसके अलावा 54 प्रतिशत बच्चों को एक या दो टीके ही लग पाते हैं, वहीं पांच फीसदी बच्चों को कोई टीका नहीं लग पाता।  भोपाल व जबलपुर स्थित इग्नू के क्षेत्रीय कार्यालय के अलावा दिल्ली में मौजूद विशेषज्ञों ने टीकाकरण अभियान में मीडिया तथा खासकर क्षेत्रीय मीडिया की भूमिका पर खुलकर राय रखी।

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