Sunday, August 21, 2011

इग्नू-यूनिसेफ ने मध्य प्रदेश के पत्रकारों को टीकाकरण के बारे संवेदनशील बनाया

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से जमीनी स्तर के मीडिया पेशेवरों को रूटीन टीकाकरण के बारे में शिक्षित करने के लिए एक महीने पहले शुरू की गई अनूठी मुहिम दूसरे चरण में पहुंच गई है। दूसरे चरण में जबलपुर को शामिल किया गया है।
 राष्ट्रीय, प्रांतीय और जिला स्तर के बीस सदस्यों की एक मीडिया टीम मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर पहुंची। यूनिसेफ-इग्नू गठजोड़ के दूसरे चरण के अंतर्गत इस दौरे ने मीडियाकर्मियों के बीच रूटीन टीकाकरण की निम्न दर एवं मध्य प्रदेश में उच्च शिशु मृत्यु दर के बारे में जागरूकता बढ़ाई। वर्तमान में सिर्फ 40 फीसदी बच्चों को ही टीके लग पाते हैं, इसलिए राज्य में शिशु मृत्यु दर उच्च है।
आदर्श तापमान पर टीकों को संरक्षित करने वाले कोल्ड चेन उपकरणों के इस्तेमाल में बारीक योजना के बारे में पत्रकारों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया गया। मीडिया टीम का साथ दे रहे यूनिसेफ व मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. गगन गुप्ता ने कहा, ‘‘ संग्रहित टीकों के संरक्षण के लिए वैक्सिन स्टोर बिजली गुल होने की स्थिति में जेनरेटरों का इस्तेमाल करते हैं।’’

मीडियाकर्मियों को वैक्सिन वायल मॉनिटर के जरिए टीकों के एक्सपायरी डेट की जांच की विधि भी बताई गई।
प्रतिभागियों में से एक शिवानी ने कहा, ‘‘बतौर मीडियाकर्मी हम इस साधारण, लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी को अपने माता-पिता, खासकर मां, के साथ बांट सकेंगे।’’

सुदूर कुंडम प्रखंड से मोबाइल के जरिए स्थानीय न्यूज का प्रसार करने वाले सरोज परास्ते ने जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर सराई गांव की अपनी यात्रा को ज्ञानवर्द्धक करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे गांव के मान्यताप्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) हमसे मिलते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मां और बच्चे टीकाकरण के लिए महीने के अंतिम मंगलवार को आंगनवाड़ी केंद्र में आयें।’’
दिल्ली, भोपार और जबलपुर के आठ मीडिया पेशेवरों ने निम्न रूटीन टीकाकरण पर विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विचारों का आदान-प्रदान किया। इस भागीदारी के तहत इग्नू रणनीतिक एवं अंतःक्रियात्मक कार्यशालाओं में राष्ट्रीय, प्रांतीय और जिला स्तरीय मीडिया तक पहुंचने के लिए अपने मजबूत विडियो कांफ्रेंस नेटवर्क का इस्तेमाल करता है।

मध्य प्रदेश के लिए यूनिसेफ फील्ड ऑफिस की प्रमुख तानिया गोल्डनर ने बताया, ‘‘हर रोज़ भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 5000 बच्चों की मौत होती है। इनमें से ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता है। कई राज्यों में टीका से नियंत्रित होने वाली बीमारियां बच्चों की मौत, विकलांगता की प्रमुख वजह हैं।’’ ऐसे में टीकाकरण के महत्व को बताकर मीडिया लोगों को जागरूक बना सकता है और ऐसी मौतों को टाल सकता है।

पत्रकारिता एवं नव माध्यम अध्ययन विद्यापीठ के निदेशक एस.एन सिंह ने कहा, ‘‘हम इग्नू के ज्ञानवाणी एवं ज्ञानदर्शन टीवी चैनलों के माध्यम से रूटीन टीकाकरण के विशेष कार्यक्रमों के जरिए मीडिया एवं सुदूर क्षेत्रों के अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकते हैं।’’

जबलपुर में इन पत्रकारों के दौरे की शुरुआत नवजात शिशुओं की मौत की रोकथाम के लिए एनआरएचएम और यूनिसेफ द्वारा स्थापित अत्याधुनिक नवजात शिशु विशेष देखभाल इकाइयों से हुई। आशा एवं एएनएम (आग्जिलियरी नर्स मिडवाइव्स) सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत सेवा उपलब्धता के मामले में अंतिम चरण में संपर्क सूत्र हैं।

इस दौरे का समापन लेडी एल्गिन हॉस्पिटल में स्पेशल केयर न्यूबॉर्न यूनिट (एससीएनयू) के दौरे से हुआ। यहां नवजात शिशुओं को बीमारियों से बचने के लिए विशेष चिकित्सकीय देखभाल सुविधा प्रदान की जाती है। इन इकाइयों में नवजात शिशुओं को जन्म के बाद लगने वाले प्रथम टीके (बीसीजी, ओपीवी और हेपेटाइटिस-बी) दिए जाते हैं।

डा. गगन गुप्ता ने कहा, ‘‘वर्तमान में हमारे पास 28 एससीएनयू हैं, जबकि सभी पचास जिलों के लिए मंजूरी मिल गई है। यह राज्य में नवजात शिशुओं की मौत रोकने की दिशा में ठोस कदम है।’’

यूनिसेफ पूरे राज्य में एससीएनयू सुविधाओं का स्तर सुधारने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के साथ काम कर रहा है।

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